क्या हमारे योगी ऐथलेज़र को मानेंगे?
- प्लास्टिक से सजा हुआ सिंथेटिक फाइबर से बना ये फ़ास्ट फैशन फ़ेवरेट हमारे एनवायरनमेंट के लिए बहुत बुरा है।
We’re a team that is unlearning modern-day, convenient living to…
यदि आपको भी औपचारिक पर असुविधाजनक परिधानों से ज़्यादा आरामदायक परिधान पहनना पसंद है तो आपके लिए भी हमारी तरह ऐथलेज़र (जिसमें सैर या जिम में पहने जाने वाले कपड़े अब सभी जगह पहने जाते हैं) लुक का लोकप्रिय होना आपके फैशन स्टेटमेंट और आपकी सेल्फ इमेज के लिए सहायक होता होगा। ये स्टाइल आपकी सालों की कुछ अच्छा लेकिन आरामदायक ढूंढने की मशक्कत का फल प्रतीत होता होगा क्यूंकि इसके लोकप्रिय होने के पहले स्टाइलिश कपड़े और आरामदायक कपड़े फैशन की दुनिया में क्रमशः राजा और रंक का दर्जा रखते थे। लेकिन अब ऐथलेज़र के ज़रिये सिर्फ जिम या सैर के लिए ही नहीं पर सारे आयोजनों पर इन आरामदायक कपड़ों को पहनना स्वीकृत हो गया है। यहां तक की एयरपोर्ट लुक में भी इन्हें फ़िल्मी सितारों ने लोकप्रिय बना दिया है और वे अपने मेकअप रहित ऐथलेज़र लुक में बड़े आत्मविश्वास से आ कर फोटोग्राफरों के लिए पोज़ बनाते हैं।
लेकिन जैसा की सभी ट्रेंड्स के साथ होता है, ऐथलेजऱ से सभी लोग खुश नहीं हैं। ब्रिटिश कॉलमनिस्ट एलेक्स प्राउड 'थ टेलीग्राफ' के लिए अपने एक लेख में कहते हैं "ऐसा लगता है कि आधे लोग जिम से बाहर आने के बाद कपड़े बदलना ही भूल गए हैं।"यदि पर्यावरण की दृष्टि से देखें तो इस फैशन की प्राउड द्वारा की गयी आलोचना मामूली है, क्यूंकि ये तो सिर्फ उसकी बनावट के बारे में है, उससे हो रहे नुक्सान के बारे में नहीं। सच ये है की ये ऐथलेजऱ कपड़ों का चलन माना की आरामदायक फैशन को बढ़ावा देता है लेकिन इसमें एक बहुत बड़ी खोट है। और अभी तो हम इसे बनाने में हो रही अनैतिक मज़दूरी के विषय में बात ही नहीं कर रहे हैं।
ब्रिटिश कॉलमनिस्ट एलेक्स प्राउड 'द टेलीग्राफ़' के लिए अपने एक लेख में कहते हैं, "ऐसा लगता है कि आधे लोग जिम से बाहर आने के बाद कपड़े बदलना ही भूल गए हैं।"
ऐथलेजऱ के अधिकतर ऑउटफ़िट - चाहे वे आपकी ब्रांडेड योगा पैन्ट्स, टी-शर्ट्स, स्वेटशर्ट्स, टैंक टॉप्स या शॉर्ट्स ही क्यों न हो - आर्टिफ़िशियल फ़ाइबर से बनते हैं। इन जल्दी से सूखने वाले, स्लिम लुक देने वाले कपड़ों को अननेचुरल तरीके से स्ट्रैचेबल बनाया जाता है। ये सभी काम कॉटन या हेम्प नहीं कर पाएंगे। आर्टिफ़िशियल फ़ाइबर जैसे कि नायलॉन, रेयॉन, पॉलिएस्टर, स्पैन्डेक्स आदि या तो इनऑर्गेनिक सब्स्टेंस से बनते हैं या उन्हें बनाने के लिए केमिकल मिलाया जाता है। वॉश होते समय एक बारीक प्लास्टिक का पार्टिकल रिलीज़ होता है जिसे माइक्रोफ़ाइबर ( एक ह्यूमन हेयर के 1/5 हिस्से जितना पतला) के नाम से जाना जाता है। वॉश होने के कारण ये पहले ड्रैन्ज़ में बहता है और फिर समुद्र में जाता है जिससे न सिर्फ ओशन पॉल्यूट होते हैं साथ ही मरीन लाइफ़ को भी खतरा रहता है।
इन जल्दी से सूखने वाले, स्लिम लुक देने वाले कपड़ों को अननेचुरल तरीके से स्ट्रैचेबल बनाया जाता है। ये सभी काम कॉटन या हेम्प नहीं कर पाएंगे।.
फ्लोरिडा युनिवर्सिटी की रिसर्च के हिसाब से ओशन में पाए जाने वाले 70% माइक्रो प्लास्टिक के पार्टिकल आर्टिफ़िशियल क्लोदिंग से आते हैं। हर बार जब आप एक सिंथेटिक क्लोदिंग के पीस को वॉश करते हैं, आप ओशन को प्लास्टिक पार्टिकल से पॉल्यूट करते हैं। हमारी वॉशिंग मशीनें और हमारे फिल्ट्रेशन प्रोसेस अभी इन पार्टिकल्स को स्ट्रेन कर के अलग नहीं कर सकते हैं। इसीलिए ये पार्टिकल फ़िश खाती हैं और फिर फ़ूड सायकल के साथ ये हम तक ही वापस पहुँच जाते हैं। ग्लोबल नॉन-प्रॉफ़िट ऑर्गनाइज़ेशन टेक्सटाइल एक्सचेंज ने बताया है कि पूरे वर्ल्ड के 60 प्रतिशत कपड़े पेट्रोकेमिकल्स से बनाये जाते हैं जिसमें माइक्रोफ़ाइबर पाया जाता हैं।
इन जल्दी से सूखने वाले, स्लिम लुक देने वाले कपड़ों को अननेचुरल तरीके से स्ट्रैचेबल बनाया जाता है। ये सभी काम कॉटन या हेम्प नहीं कर पाएंगे।.
आप क्या कर सकते हैं ?
- आप पुराने कपड़ों को थैले व अन्य सामान बनाने में पुनः इस्तेमाल कर सकते हैं
- सिंथेटिक या कृत्रिम रेशों से बने कपड़ों को आप कम धोएं तथा वाशिंग मशीन में कम समय के लिए डालें
- यदि आप कपड़े हाथों से धो रहे हों तो ज़्यादा रगड़ें नहीं, बस भिगो के हलके हाथ से धोएं
- ऐसे कपड़ों को गरम पानी में न धोएं क्योंकि उनके रेशे गरम पानी में ज़्यादा निकलते हैं
- अपनी वाशिंग मशीन में एक फ़िल्टर लगाए जो माइक्रोफ़ाइबर को इकठ्ठा कर सके। इस माइक्रोफ़ाइबर को फिर आप एक इको ब्रिक (इको ब्रिक प्लास्टिक से भरी बोतलें होती हैं जिनको मिट्टी की ब्रिक की जगह सस्टेनेबल बिल्डिंग मटेरियल बनाने में इस्तेमाल किया जाता है) में अन्य प्लास्टिक के वैस्ट के साथ डाल सकते हैं।
- अंततः आइये पुनः व्यायाम (तथा जीवन-शैली) को असली धागे से बने सूती कपड़ों में ले आएं। हमारी संस्कृति तो हमेशा से ही इस बात की पुष्टि करती है, आप किसी भी योगी से पूछिए, आपको जवाब ये ही मिलेगा।
हम आज की आसान जीवनशैली को भूल कर पर्यावरण के अनुकूल, नैतिक जीवन जीने का प्रयास कर रहे लोगों की टीम हैं, और इस प्रक्रिया में जो कुछ हम सीख रहे हैं वह हम अपने पाठकों से साथ बाँट रहे हैं।